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ठीक नहीं बैंकों का हाल

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बुधवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा होनी है l इससे पहले ही अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों मूडीज और फिच ने सरकारी बैंकों की सेहत पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं l

सोमवार को मूडीज ने और उसके तुरंत बाद मंगलवार को फिच ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों की माली हालत में हाल फिलहाल कोई सुधार नहीं दिखने के आसार जताए हैं।

दोनो एजेंसियों ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष सरकारी बैंकों में एनपीए की समस्या और बढ़ सकती है ।

इस दौरान बुधवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों को लेकर रिजर्व बैंक क्या फैसला करता है इस पर सभी की नजर रहेगी l

साथ साथ सरकारी बैंकों की हालात को सुधारने के लिए केंद्रीय बैंक क्या कदम उठाएगा वो भी देखने वाली बात है ।

मौद्रिक नीति की समीक्षा से पहले अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय बैंकिंग की वित्तीय स्थिति पर जो विचार व्यक्त किया है वह बेहद चिंताजनक है।

फिच की रिपोर्ट में एक तरह से चेतावनी दी गई है कि एनपीए की समस्या अभी खत्म होती नहीं दिख रही है ।

हालाँकि मूडीज ने यह जरुर कहा है कि अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार होने का सकारात्मक असर बैंकों पर पड़ेगा लेकिन अभी भी बैंकों पर संकट बरक़रार है l

काफी समय से दोनो एजेंसियां भारतीय बैंकों के बारे में जो रिपोर्ट दे रही हैं वो बैंकिंग व्यवस्था के लिए चिंताजनक है ।

बैंकिंग व्यवस्था को लेकर फिच और मूडीज की सालाना रिपोर्ट को उध्योग जगत में काफी तवज्जो दी जाती है।

सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से सरकारी बैंकों को 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद  मुहैया कराई जा सकती है ।

पहले भी सरकार जनवरी 2018 में और जुलाई, 2018 में कुछ सरकारी बैंकों को मदद की राशि दी थी , बैंकों की जरुरत को देखते हुए यह काफी कम साबित हुई l 

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान आरबीआइ की तरफ से बैंकों में वैधानिक पूंजी स्तर रखने के मौजूदा नियमों में कुछ बदलाव किया जा सकता है।

बैंकिंग सिस्टम में फंड की उपलब्धता बढ़ाने को लेकर भी आरबीआइ की तरफ से नई योजनाएं बन सकती है।