सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवेदनशील अयोध्या विवाद में 9 नवंबर को सुबह 10:30 पर फैसला सुनायेगा, यह फैसला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई , जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की 5 सदस्यीय बेंच सुनाएगी ।
इसी बेंच ने 16 अक्ट्रबर को इस मामले की सुनवाई पूरी की थी, 6 अगस्त से लगातार 40 दिन इस मामले में सुनवाई की गई और रंजन गोगई के सेवानिवृत्त होने से पहले फैसला देने की बात कही गई थी ।
अयोध्या विवाद के फैसले के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को 3 दिन बन्द रखने के आदेश की खबर मिल रही है ।
इस बीच आज शुक्रवार को अयोध्या में सुरक्षा और कड़ी हो गई, राम जन्मभूमि मंदिर की तरफ जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए गए हैं सीएम योगी आदित्यनाथ ने हर जिले में एक कंट्रोल रूम बनाने और लखनऊ और अयोध्या में दो हेलीकॉप्टर तैयार रखने के आदेश दिए है ।
राम जन्मभूमि मंदिर जाने वाले सारे रास्ते आज गाड़ियों के लिए सील कर दिए गए हैं । इसके साथ पूरे अयोध्या में पुलिस जनता के बीच जाकर उन्हें समझाने और भरोसा दिलाने की कोशिश कर रही है ।
राम जन्मभूमि , हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, कनक भवन, मंदिर निर्माण कार्यशाला राम की पैड़ी आदि पर सुरक्षा कड़ी की गई है ।
जिलाधिकारी अनुज झा ने कहा शादी-ब्याह का सीजन है, जैसा तय किया है वैसा ही रहेगा, सारे कार्यक्रम सामन्य ढंग से चलते रहेंगे ।
अयोध्या विवाद पर अब तक क्या-क्या हुआ?
1885 में महंत रघुबर दास ने अदालत से मांग की कि बाबरी के पास चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए किन्तु यह मांग खारिज हो गई ।
1946 में विवाद उठा कि बाबरी मस्जिद शियाओं की है या सुन्नियों की चूँकि बाबर सुन्नी की था इसलिए सुन्नियों की मस्जिद मानी गई ।
1949 में प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की जो नाकाम रही जिसके बाद दिसंबर में मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं।
29 दिसंबर 1949 को यह संपत्ति कुर्क कर ली और वहां रिसीवर बिठा दिया गया ।
1950 से इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है इस तारीखी मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के हैं।
गोपाल दास विशारत अदालत गए कहा कि मूर्तियां वहां से न हटें और पूजा बेरोकटोक हो, अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा , जनता बाहर से दर्शन करेगी ।
1959 में निर्मोही अखाड़ा अदालत पहुंचा और वहां अपना दावा पेश किया फिर 1961में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मस्जिद का दावा पेश किया ।
1 फरवरी 1986 को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी, कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बन गई ।
1989 में वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया और मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया ।
असली कहानी शुरू हुई 1990 में जब 25 सितंबर 1990 को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की ।
इसकी वजह से गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए और आडवाणी को 23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया ।
6 दिसम्बर 1990 को हजारों कारसेवक मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ गए और गुम्बद तोड़ डाला और वहां भगवा फहरा दिया इसके बाद भी दंगे भड़क गए।
1991 में यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने । 6 दिसंबर 1992 को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया । कारसेवक सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े और शाम 4.30 बजे तक मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया ।
कल्याण सिंह ने सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए
इस्तीफा दे दिया ।
हाईकोर्ट ने 2003 में झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया ।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए तभी से मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है ।
मामले को बीच मे बातचीत से सुलझाने का फैसला किया और इसके लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन कर दिया । समिति में जस्टिस खलीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल किए गए । पर नतीजा नही आ सका ।
अब कोर्ट की लगातार 40 दिन सुनवाई के बाद नवम्बर में फैसला देना सुनिश्चित किया गया । कल दिनांक 9 नवम्बर 2019 को आने वाले फैसले पर देशभर की नजर रहेगी ।।
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