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अयोध्या केस ऐतिहासिक फैसला

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सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने आज 9 नवम्बर 2019 को अयोध्या मामले Ayodhya Verdict में ऐतिहासिक फैसला दिया है ।

कोर्ट ने निम्न वातें अपने फैसले में कहीं —

पांचों जजों की सहमति से फैसला सुनाया गया है ।

शिया वक्फ बोर्ड का दावा विवादित ढांचे को लेकर था जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया।

बाबरी मस्जिद मीर बाकी ने बनवाई थी। बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। रंजन गोगोई ने कहा कि ASI की रिपोर्ट के मुताबिक खाली जमीन पर मस्जिद नहीं बनी थी ।

अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे बनी संरचना इस्लामिक नहीं थी लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह साबित नहीं किया कि मस्जिद के निर्माण के लिये मंदिर गिराया गया था।

पुरातात्विक साक्ष्यों को सिर्फ एक राय बताना भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रति बहुत ही अन्याय होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राम चबूतरे पर 1855 से पहले हिंदुओं का अधिकार था। अहाते और चबूतरे पर हिंदुओं के अधिकार का सबूत मिला है।

हिंदुओं की यह अविवादित मान्यता है कि भगवान राम का जन्म गिराई गई संरचना में ही हुआ था। 1856-57 से पहले आंतरिक अहाते में हिंदुओ पर कोई रोक नहीं थी, मुसलमानों का बाहरी आहते पर अधिकार नहीं रहा ।

हिन्दू विवादित भूमि को भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं और मुस्लिम भी इस स्थान के बारे में यही कहते हैं। हिन्दुओं की यह आस्था अविवादित है कि भगवान राम का जन्म स्थल ध्वस्त संरचना है।

मुस्लिम पक्ष  अपना मालिकाना हक साबित नहीं कर पाया। हिंदुओं का बाहरी चबूतरे पर अधिकार था।

मुस्लिम पक्ष सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को अयोध्‍या में मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्‍ध कराई जाए।

विवादित जमीन पर ही राम मंदिर बनाया जाएगा।

हक का निर्णय सिर्फ आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं किया जा सकता कानूनी अधार पर ही निर्णय लिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित ढांचे पर अपना एक्सक्लूसिव राइट साबित नहीं कर पाया ।

कोर्ट ने विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, तो मुसलमानों को दूसरी जगह वैकल्पिक जमीन 5 एकड़ देने के लिए कहा है ।

कोर्ट ने साथ ही कहा कि मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार तीन महीने में योजना बनाए, फिलहाल अधिकृत जगह का कब्जा रिसीवर के पास रहेगा ।