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महाराष्ट्र को इतने दिन बाद भी न मिला CM

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महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के इतने दिन बाद भी राज्य में किसकी सरकार बनेगी यह अब तक साफ नहीं हो सका है. शिवसेना 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी हुई है तो वहीं बीजेपी इसपर राजी नहीं है. मुख्यमंत्री को लेकर शिवसेना और बीजेपी में जारी खींचतान के बीच एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को भी महाराष्ट्र में उम्मीदें दिखने लगी हैं.

शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने रविवार को सामना में लिखा कि बीजेपी को ईडी, पुलिस, पैसा, धाक के दम पर अन्य पार्टियों के विधायक तोड़कर सरकार बनानी पड़ेगी. उन्होंने साफ किया कि बीजेपी के सामने शिवसेना घुटने नहीं टेकेगी. शिवसेना ने बीजेपी के राष्ट्रपति शासन वाले बयान पर पलटवार किया गया. सामना में पूछा गया कि राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं क्या.

बीजेपी बहुमत से काफी दूर है शिवसेना को ओर से नतीजों के बाद से बीजेपी पर दबाव बनाना जारी है. बीजेपी का मानना है कि वह सबसे बड़ी पार्टी है और वह राज्य में सरकार बना सकती है.

2014 में बीजेपी ने 122 सीट जीतकर एनसीपी के बाहरी समर्थन से सरकारी बना ली थी. हालांकि बाद में शिवसेना सरकार में शामिल हो गई थी. क्या बीजेपी उसी तरह राज्य में सरकार बना सकती है ये देखना है.

शिवसेना की ओर से बीजेपी के खिलाफ बयान से महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को शिवसेना का समर्थन करना चाहिए. जबकि कांग्रेस और शिवसेना अकेले सरकार नहीं बना सकतीं इसके लिए एनसीपी की जरुरत होगी.

लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी को विपक्ष में बैठने के लिए जनता ने चुना और ऐसे में वह विपक्ष में ही बैठेंगे. उधर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की ओर से बयान आया कि अगर शिवसेना हमारे पास समर्थन मांगने आती है तो हम उसपर विचार करेंगे.

सोनिया गांधी और शरद पवार की मुलाकात और शिवसेना के समर्थन मांगे जाने के बाद ही इस राजनीतिक फंडे का असली मुद्दा सामने आएगा .