संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार प्रति वर्ष अपने कार्यकाल का वार्षिक लेखा-जोखा संसद में पेश करती है, इस लेखा-जोखा को आम बजट या पूर्ण बजट कहा जाता है ।
इस हिसाब किताब में एक ओर सरकार अपनी वार्षिक आमदनी बताती है और दूसरी ओर एक साल के खर्च का उल्लेख करती है ।
पहले यह फरबरी के अंतिम दिन पेश किया जाता था लेकिन अब 1 फरबरी को ही पेश हो जाता है । पहले रेलबजट अलग से था जो अब आम बजट के साथ ही रहता है ।
संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार पूरे एक साल के अलावा आंशिक समय के लिए भी यह लेखा-जोखा संसद में पेश कर सकती है ।
यदि सरकार अपने राजस्व और खर्च का यह लेखा-जोखा कुछ माह के लिए पेश करे तो उसे अंतरिम बजट कहा जाता है ।
लेकिन आखिर कब और क्यों केन्द्र सरकार अंतरिम बजट पेश करती है?
तो जब सरकार का कार्यकाल समाप्त होने वाला होता है , यानि कि अगली सरकार चुने जाने वाले चुनाव से पहले जो बजट पेश होता है वो नई सरकार आने से पहले के कुछ माह के लिए होता है ।
अंतरिम बजट को लेखाअनुदान मांग और मिनी बजट भी कहते हैं ।
पूर्णबजट में जहाँ केन्द्र सरकार एक साल के खर्च व राजस्व का ब्यौरा देती है वहीं अंतरिम बजट के लिए संसद से अनुदान तिमाही अथवा छमाही आधार पर ही लेती है l
आम चुनाव से पहले आमतौर पर सरकार अंतरिम बजट पेश करती है जिसमें नई सरकार बनने तक के लिये चार माह का लेखानुदान पारित कराया जाता है ।
चुनाव के बाद सत्ता में आने वाली नई सरकार पूर्ण बजट पेश करती है ।