देश की शीर्ष अदालत ने राज्य तथा विभिन्न उच्च न्यायालयों से वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की विस्तृत जानकारी मांगी थी l
जानकारी मांगने के पीछे उद्देश्य है कि ऐसे मामलों में जल्द सुनवाई के लिए पर्याप्त संख्या में विशेष अदालतों का गठन हो सके सके ।
इसी संदर्भ में उच्चतम न्यायालय को सोमवार को सूचित किया गया था। जिसमें बताया गया था कि संसद और विधानसभाओं के वर्तमान और कुछ पूर्व सदस्यों के खिलाफ तीन दशक से भी अधिक समय से 4,122 आपराधिक मामले लंबित हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया और अधिवक्ता स्नेहा कालिता ने राज्यों और उच्च न्यायालयों से प्राप्त डेटा शीर्ष अदालत में पेश किया ।
आज 4 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए बिहार और केरल में सत्र अदालतों के गठन का निर्देश दिया है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ एक जनहित याचिका पर वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों से संबंधित मुद्दों पर विचार कर रही है ।
राज्यों और उच्च न्यायालयों से प्राप्त डेटा से पता चलता है कि 264 मामलों में उच्च न्यायालयों ने सुनवाई पर रोक लगा दी गई l
वर्ष 1991 से लंबित कई मामलों में तो आरोप तक तय नहीं किए गए हैं।
अधिवक्ता एवं भाजपा नेता अश्चिनी उपाध्याय की एक याचिका में आपराधिक मामलों में दोषी सिद्ध नेताओं पर ताउम्र प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है l
अदालत इस याचिका पर जल्द सुनवाई करेगी ।
शीर्ष अदालत निर्वाचित प्रतिनिधियों से जुड़े इस तरह के मामलों में सुनवाई में तेजी लाने के लिए विशेष अदालतें गठित करने पर भी विचार करेगी ।
संसद और विधानसभाओं के वर्तमान और कुछ पूर्व सदस्यों के खिलाफ काफी समय से आपराधिक मामले जो 4 हजार से भी अधिक हैं लंबित हैं, जिससे आमजन का विश्वास डगमगा जाता है ।