टेलीकॉम कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में पेनल्टी और ब्याज में छूट देने के प्रस्ताव पर सरकार फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही।
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में ये जानकारी दी।
आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को डेटा के लिए ज़्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है । ऐसा इसलिए क्योंकि दो प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों ने जल्द ही मोबाइल डेटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है।
भारत देश में मोबाइल डेटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं। यहां पर चीन, जापान से भी सस्ता मोबाइल डेटा मिलता है।
भारतीय बाज़ार में एयरटेल और वोडाफ़ोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज़्यादा हिस्सेदारी है ये दोनों ही कंपनियां जल्द ही मोबाइट डेटा को महंगा करने वाली हैं।
हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है।
ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में पेनल्टी और ब्याज के एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलिकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी ।
वोडाफ़ोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ़ की दरें बढ़ाएगा एयरटेल की ओर से भी इसी तरह का बयान जारी किया गया है।
पहले टेलिकॉम सेक्टर में कई कंपनियां थीं और उनमें प्रतियोगिता के कारण डेटा की क़ीमतें गिरी थीं ।
क्योंकि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में ग्राहकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी यहां के ग्राहक हर महीने डेटा पर बेशक कम ख़र्च करते हैं लेकिन इनकी संख्या इतनी है कि कम्पनी की कमाई अच्छी हो जाती थी।
आज कम्पनी नुक्सान में चली गई हैं नुक़सान की भरपाई के लिए स्वाभाविक है कि डेटा की क़ीमत बढ़ेगी ।कंपनियां अंदाजन लगभग 15 से 20 प्रतिशत रेट बढ़ा सकतीं हैं।
यानि अभी आप महीने में 100 रुपए खर्च कर रहे हैं तो आपको लगभग 120 रुपए खर्च आ सकता है।
टेलिकॉम कंपनिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद उन्हें भारी-भरकम लंबित रक़म सरकार को चुकानी होगी और इसका सीधा असर ग्राहक पर ही होगा ।