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Home UFBU और IBA से ऊब रहे हैं बैंकर कह रहे बुरा भला

UFBU और IBA से ऊब रहे हैं बैंकर कह रहे बुरा भला

बैंक द्विपक्षीय समझौता ( Bank Bipartite Settelment) भड़के बैंक कर्मी

आम लोगों को शायद ही पता हो कि बैंक कर्मियों का वेतन 2017 से बढ़ना पेंडिंग है। दरअसल बैंकों का वेतन हमेशा एक समझौते के तहत होता है जिसे द्विपक्षीय समझौता ( Bipartite Settelment) कहा जाता है ।

Bank DA from Nov 2020 to Jan 2021

यह समझौता बैंक यूनियनों के ग्रुप UFBU यूनाइटेड फ्रंट ऑफ बैंक यूनियन और IBA इंडियन बैंक एसोशिएशन के तहत हर पांच वर्ष में होता है । 11 वां वेतन समझौता इस बार होना है ।

बैंक कर्मियों के अनुसार अब लोग पहले की तरह कुछ भी मानने वाले नहीं रहे कम्प्यूटर के इस युग मे जब कोई भी कैलकुलेशन करने में मात्र कुछ पल लगते हैं तब IBA और UFBU तीन वर्ष से खिचड़ी पका रहे हैं ।

IBA पर उठ रहे सवाल

इस बार एक छोटी सी नव निर्मित यूनियन ने तो IBA इंडियन बैंक एसोशिएशन के वजूद पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं । दरअसल IBA खुद को ही कोई जिम्मेदार सरकारी या कोई रजिस्टर्ड ऑर्गनाइजेशन साबित करने में फेल दिख रही है ।

हाल ही में IBA और बैंक यूनियन के बीच एक MOU पर हस्ताक्षर हुए थे जिसके अनुसार बैंक कर्मियों का वेतन मात्र 15 फीसद बढ़ाने के लिए 90 दिन के अंदर फाइनल कर देने का जिक्र था ।

बैंक कर्मियों की मानें तो 90 दिन में से 75 दिन तक IBA और यूनियन वाले सोते रहे और आखिरी समय पर बात बिगड़ने के हवाला देकर दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए मजे से बैठे हैं ।

बैंकरों का आरोप है त्योहारी सीजन में मार्किट में अधिक पैसा आए इस वजह से एक तरफ सभी सरकारी कर्मचारियों को बोनस आदि सरकार देने की कोशिश कर रही है । दूसरी ओर बैंक यूनियन और IBA चादर तानकर सो गए हैं ।

यूनियन पर बसूली का आरोप

कई बैंकर ने साफ तौर पर कहा है कि ये सब लेवी बढ़ाने और IBA की कमीशन खोरी का खेल है । दरअसल यूनियन को कर्मचारियों को मिलने वाले एरियर में से कुछ प्रतिशत लेवी के तौर पर मिलता है । जिस वजह से यूनियन समझौते को जितना लंबा खींच सकती हैं उतना लंबा जानबूझकर खिंचती है ।

आजकल शोशल मीडिया बैंकरों के रोष से भरा पड़ा है जिसमें फेसबुक , व्हाट्सएप और ट्विटर पर बैंकर यूनियन नेताओं IBA को जमकर भला बुरा कह रहे हैं ।

रिटायर्ड नेताओं पर शोशल मीडिया में निकल रही भड़ास

यूनियन के मुख्य नेता वेंकटचलम पर विभिन्न प्रकार के जोक, भद्दे कमेंट आदि जमकर बरस रहे हैं । इल्जाम लगाया जा रहा है कि ये रिटायर्ड नेता नए नौजवानों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे ।

बैंकर्स का रोष इतना अधिक है कि उनका कहना है आज के जमाने मे जब आप घर बैठे वीडियो कॉन्फ्रेंस से सारी बात कर सकते हैं केलकुलेशन मिनटों का काम है ऐसे में आप फाइनेंसियल नॉलेज वाले होकर एक वेतन समझौते को तीन साल में पूरा नहीं कर पाते तो क्या फायदा ऐसी वार्ता का ??

दरअसल बैंक कर्मियों को नवरात्रि में एरियर मिल जाने की पूर्ण उम्मीद थी । कई ने गाड़ियों की एडवांस बुकिंग करा ली तो कई ने क्रेडिट कार्ड और लोन से खरीददारी कर डाली । अब अचानक से यूनियन और IBA ने अपनी ही हस्ताक्षर किए MOU को फेल करके बैंकरों की भावनाओ को भड़का दिया है जो शोशल मीडिया पर बहुत झलक रहा है ।

 

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