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All Life Matters not “Selective Only”

क्या वाकई भारत मे #black_life_matters  का कुछ मतलब है?

भारत जैसे देश में जहां काला होना गुनाह है क्योकि –
~ हजारो करोड़ का व्यापार फेयरनेस क्रीम और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट का हमारे देश मे हर साल होता है,कालेपन से छुटकारा दिलाने के लिए।
~ शादी के लिए सबको गोरी लड़की चाहिए होती है काली नही।
~घर समाज सभी जगह गोरेपन को तबज्जो देना।
क्या ये सब वाकई #रंगभेद नही है जिसे बदकिस्मती से भारत में सामाजिक मान्यता मिली हुई है फिर भारत मे काले के लिए ये भेड़ चाल क्यों?
हमारे देश मे सिर्फ अपराधी ही है जो काले गोरे का भेद किये बिना सबके साथ अपराध करता है। हमारे यहां तो #all_life_matters होना चाहिए।
जब जब हमारे देश मे #लींचिंग का जिक्र किया जाता है पता नही क्यों बड़ी चालाकी से  #अंकित_शर्मा #चंदन_गुप्ता #कमलेश_तिवारी #पलाघर_साधु #अंकित_सक्सेना #हीना_तलरेजा #प्रशान्त_पुजारी #विष्णु_गोस्वामी #विधु_जैन #मनहर_वारिया #अमित_गौतम #वी_रामलिंगम #ध्रुव_त्यागी #ट्विंकल_शर्मा #भरत_यादव #रिया_गौतम
सरीखे नाम गायब कर दिए जाते हैं और दो तीन मां का ही जिक्र हमेशा किया जाता है कि भारत मे सिर्फ इन्ही दो तीन लोगों के साथ #लींचिंग हुई है।
अगर #लींचिंग सिर्फ अखलाख और पहलू के साथ हुई तो ऊपर लिखे कुछ लोगो के साथ और भी न जाने कितने लोगों के साथ क्या हुआ था?
गलत हमेशा गलत ही होता है , चाहे वो अखलाख के साथ हुआ हो या चंदन के साथ, तो फिर अखलाख के साथ चंदन का नाम क्यों नहि लिया जाता जब #लींचिंग की बात होती है।
जल्लीकट्टू, दिवाली और गंगा दशहरा पर पशु पक्षी प्रेम दिखाना और गाय को मार कर खाना खाने की आजादी कहलाना पक्षपात है।
यही पक्षपात दिखाता है कि भारत में #आउटरेज सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए होता है #सेलेक्टिव होता है।
इसलिए #black_life…. की बकैती इस देश मे नही चलेगी।
अगर कुछ  है तो #all_life_matters है, सभी की जान कीमती है यहां। इसके अलावा सब राजनीतिक हथकंडे हैं।