अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया । जो कई अलगाववादियों और पाकिस्तान परस्तों को हजम नहीं हो रहा था ।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला सहित कई राजनीतिक नेताओं को हिरासत में रखा गया था ।
वहीं कईयों को घर में ही गिरफ्तार किया हुआ था । जिससे अलगाववादी घाटी का माहौल न बिगाड़ सकें । एहतियात के तौर पर धारा 144 लागू की गई ।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के दो महीने बाद अब जम्मू के सभी नेताओं की नजरबंदी हटा दी गई है ।
हालांकि, कश्मीर घाटी में उनके समकक्षों को हिरासत या घर में नजरबंद रखा गया है ।
जम्मू के जिन नेताओं को नजरबंद किया गया था, उन्हें रिहा कर दिया गया है और उन पर लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए गए।
यह फैसला सरकार द्वारा राज्य में पंचायत राज व्यवस्था के दूसरे स्तर के खंड विकास परिषद के लिए चुनाव की घोषणा के कुछ दिनों बाद लिया गया है।
रिहा किए गए नेताओं में देवेंद्र सिंह राणा, रमन भल्ला, हर्षदेव सिंह, चौधरी लाल सिंह, विकार रसूल, जावेद राणा, सुरजीत सलाथिया और सज्जाद अहमद किचलू शामिल हैं ।
चूंकि जम्मू क्षेत्र शांतिपूर्ण है, इसलिए राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा सोमवार को खंड विकास परिषद चुनाव के लिए मतदान की घोषणा के बाद लिया गया ।
बता दें कश्मीर घाटी में पिछले 57 दिनों से इंटरनेट और संचार सेवाएं बंद रखी गई हैं जिसका उद्देश्य है गलत अफवाह और भड़काऊ मेसेजों पर रोक लगाना ।