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आज भी महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा

घरेलू हिंसा जो आज भी महिलाओं के खिलाफ समाज मे व्याप्त है।

घरेलू हिंसा एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है महिलाओं के लिए। ज्यादातर महिलाएं इस बात को जानती ही नहीं है कि वो किसी हिंसा का शिकार हो रही हैं। पुरुषों द्वारा मारा जाने वाला थप्पड़ उनको यह कहकर भुला दिया जाता है कि एक थप्पड़ ही तो है, हो जाता है कभी-कभी गुस्से में पुरुषों से।
हर एक लड़की शादी के बाद अपने घर परिवार और रिश्तों को छोड़कर सिर्फ एक आदमी के भरोसे आ जाती है| उसे बचपन से सिखाया भी यही जाता है कि जो भी सपने हो शादी के बाद पति पूरा करेगा और वो भी इसी उम्मीद को लेकर आ जाती है। ससुराल आने के बाद उसे असलियत का पता चलता है। उसे समझ ही नहीं आता कि वो घरेलू हिंसा का शिकार है।
ससुरालीजनों द्वारा उसे यही बताया जाता है कि पति को मारने का हक है पति के द्वारा की जाने वाली हिंसा को
एक थप्पड़ ही तो है कोई बड़ी बात नहीं कहकर चुप करा दिया जाता है। सबसे पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि

आखिर घरेलू हिंसा है क्या?

घरेलू हिंसा किसी भी घरेलू संबंध या नातेदारी में किसी भी प्रकार का व्यवहार, आचरण या बर्ताव जिससे
• आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन या किसी अंग की क्षति पहुँचे
• मानसिक या शारीरिक हानि होती हो,
   घरेलू हिंसा है।
घरेलू हिंसा केवल शादीशुदा महिला पर ही नहीं बल्कि किसी भी महिला पर हो सकती है। इसके लिए ज़रूरी है कि महिलायें अपने अधिकारों की सही जानकारी रखे।
केवल यही सोचकर कि अगर हमने कुछ किया तो बच्चों का जीवन बर्बाद हो जाएगा, चुप नहीं रहना चहिये। क्योंकि बच्चे माँ और बाप दोनों की जिम्मेदारी होते है। आज भी जो लड़कियाँ अपने खिलाफ हो रहे जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठाकर अपने पति से अलग होने का फैसला लेती उसे गलत नज़रों से देखा जाता है और यह कहकर उसे नीचा दिखाया जाता है कि शायद इसकी ही सामंजस्यता में कमी होगी।
मैं इस समाज की घटिया मानसिकता वाले लोगों से यह सवाल पूछना चाहती हूं कि जो लड़की आज किसी भी स्थान में लड़के से कम नहीं है तो वह क्यों किसी की हिंसा और विकृत मानसिकता को सहे?
क्या हमारे माँ-बाप ने हमें इसीलिए इतनी मेहनत से पढ़ा लिखकर बड़ा किया की हम किसी की गलत विकृति को सहे? दहेज लेकर भी जो लड़कियों के खिलाफ हिंसा करते है वो किसी भी दृष्टि में सामान्य इंसान कहने के लायक नहीं होते है।
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005
 
• इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण का अधिनियम, 2005 है।
• यह जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होता है।
• इस कानून में निहित सभी प्रावधानों का पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिये यह समझना ज़रूरी है कि पीड़ित कौन होता है। यदि आप एक महिला हैं और रिश्तेदारों में कोई व्यक्ति आपके प्रति दुर्व्यवहार करता है तो आप इस अधिनियम के तहत पीड़ित हैंl
• चूकि इस कानून का उद्देश्य महिलाओं को रिश्तेदारों के दुर्व्यवहार से संरक्षित करना है, इसलिये यह समझना भी ज़रूरी है कि घरेलू रिश्तेदारी या संबंध क्या है? ‘घरेलू रिश्तेदारी’ का आशय किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच के उन संबंधों से है, जिसमें वे या तो साझी गृहस्थी में एक साथ रहते हैं या पहले कभी रह चुके होते हैं।
प्रत्येक महिला के लिए यह आवश्यक है कि वो अपने खिलाफ होने वाली हिंसा के खिलाफ आवाज उठाये। गलत व्यवहार सहन करना भी उतना ही गलत होता है। यदि कोई पुरुष आपके ऊपर अनावश्यक नियंत्रण कर रहा है और जाने अनजाने आप उसके व्यवहार को अनदेखा कर रही है तो यह गलत व्यवहार को बढ़ावा देना है। हम में से कई लोग ऐसे अवश्य होंगे जिन्होंने अपने घरों में भी घरेलू हिंसा देखी है लेकिन कुछ कर नही पाए या समझ ही नही पाए।
हर एक महिला जो अपने पति या अन्य लोगों के आपत्ति जनक व्यवहार को यह सोच कर नहीं सहना चाहिए कि उसका तो रिश्ता ही ऐसा है कि वह कुछ नहीं कर सकती तो वह उनको बढ़ावा दे रही हैं।
समाज मे जागरूकता फैला कर ही हम बहुत से अपराधों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
 महिलाओं से मेरा अनुरोध है कि वो अपने खिलाफ होने वाले अन्याय तथा हिंसा के खिलाफ आवाज उठाएं।
नोट- यह मेरे व्यक्तिगत विचार है, किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नही है।