महाराष्ट्र में भाजपा के सरकार न बना पाने के बाद अब शिवसेना को मौका मिला है । शिवसेना सरकार बनाने के लिए एनसीपी और काँग्रेस के साथ संपर्क बनाए हुए है ।
भाजपा चाहती तो शिवसेना को समर्थन देकर 50-50 के फार्मूले से सरकार बना सकती थी लेकिन उसने गठबंधन तोड़ना ठीक समझा है ।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक की है बैठक के बाद यह तय हुआ है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को कांग्रेस समर्थन देगी ।
खबर के अनुसार एनसीपी नेता शरद पवार के पास कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन पर समर्थन की सहमति दे दी है । लेकिन पुख्ता रूप से अभी कोई घोषणा नहीं हुई है ।
उधर कांग्रेस पार्टी के विधायकों की बैठक राजस्थान में जारी है जहाँ अशोक गहलोत के साथ विधायकों की मंत्रणा जारी है और समर्थन बाहर से देना है या सरकार में शामिल होना है इस पर बातचीत जारी है ।
एनसीपी ने कहा था कि हम सरकार बनाने को लेकर कोई भी फैसला कांग्रेस से बात किए बगैर नहीं करने जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर CWC की बैठक बुलाई थी अभी समर्थन कैसे देना है पता नहीं चला है ।
उधर काँग्रेस के एनडीए से अलग रहने की कहने पर केंद्र की मोदी सरकार में शामिल शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत ने इस्तीफे का ऐलान किया था ।
इस्तीफे के फैसले पर ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा था कि शिवसेना का पक्ष सच्चाई है। झूठे माहौल के साथ नहीं रहा सकता है । अरविंद सावंत के इस्तीफे के ऐलान के साथ ही तय हो गया है कि शिवसेना एनडीए से बाहर हो गई है।
शिवसेना और बीजेपी की दोस्ती 30 साल पुरानी थी, माना जा रहा है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में साथ सरकार बनाने के लिए शिवसेना के सामने शर्त रखी थी कि उसे पहले एनडीए से नाता तोड़ना होगा ।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था।
लेकिन शिवसेना अपने 50-50 फॉर्मूले पर अड़ गई जबकि भाजपा का कुर्सी मोह भी न टूटा । की शिवसेना का कहना है कि बीजेपी के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था लेकिन बीजेपी का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ ।
इसी लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई शिवसेना और बीजेपी की दोस्ती 30 साल पुरानी थी ।
शिवसेना के अनुसार वे पिछले 30 साल से भाजपा को उसकी इच्छा अनुसार अपनी इच्छाएं दबाकर समर्थन किए जा रहे थे । पिछली बार भी अधिक सीट माँगने पर भाजपा से चिक चिक हुई थी ।
शिवसेना का कहना है कि इस बार भी विधानसभा चुनाव के दौरान जो गठबंधन बना वो 50-50 के फार्मूले पर बना लेकिन चुनाव नतीजों के बाद भाजपा की नीयत डोल गई ।
उधर भाजपा के अनुसार 50-50 पर कोई बात नहीं हुई थी ।
देखने वाली बात यह है कि दोनों ही पार्टियाँ कुर्सी नहीं छोड़ना चाहतीं ।
एक तरफ देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद भाजपा मान रही थी कि हर बार की तरह शिवसेना मान जाएगी । लेकिन इस बार शिवसेना भी अपनी बात 50-50 को दोहराती हुई अपनी जिद पर अड़ गए हैं ।
अड़ने की वजह यह भी है कि उनको NCP और कांग्रेस से समर्थन मिल जाने की उम्मीद है । माना जा रहा है कि एनसीपी ने महाराष्ट्र में साथ सरकार बनाने के लिए शिवसेना के सामने शर्त रखी थी कि उसे पहले एनडीए से नाता तोड़ना होगा ।
और भाजपा के जिद पर अड़े रहने के बाद अब एनडीए से शिवसेना का निकल जाना लगभग तय हो गया है । शिवसेना नेताओं का कहना है कि 30 साल से वे एक तरफा दोस्ती निभा रहे थे और हर बार झुकते आ रहे थे ।
कुलमिलाकर शिवसेना को अगर काँग्रेस और एनसीपी के समर्थन मिल जाता है तो शिवसेना का मुख्यमंत्री बनना तय है । जिसकी पहली शर्त यह है कि कोई सीनियर ही मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जाएगा ।
जिसके बाद उद्धव ठाकरे के नाम को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है । कल तक सभी अटकलें खत्म होकर सरकार बनाने का फॉर्मूला जाहिर हो जाएगा ।