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Home आखिर क्यों झुक रही भाजपा ?

आखिर क्यों झुक रही भाजपा ?

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लोकसभा चुनाव 2014 में झंडे गाड़ने वाला दल भाजपा क्या 2019 में भी वही करतब दोहरा पाएगा ?

इस प्रश्न का जबाब तो 23 मई को ही मिलेगा ।

लेकिन 2014 में आई एक बड़ी मोदी लहर धीरे धीरे कुंद होती जा रही है , एक तरफ हाल ही में राज्यों के विधान सभा चुनाव में आई शिकस्त से भी कुछ असर हुआ है ।

पुराने नारे अच्छे दिन आने वाले हैं से भी भाजपा ने किनारा कर लिया है ।

हाल ही में 2 नए नारे मोदी है तो मुमकिन है और मैं भी चौकीदार का इस्तेमाल किया जा रहा है ।

हालांकि अखिरी कुछ महीनों में मोदी सरकार द्वारा उठाए कदम जैसे 10 फीसद गरीब आरक्षण से सवर्णों को साधने की कवायद या पुलवामा के बाद सर्जीकल स्ट्राइक का फायदा पूर्ण रूप से भाजपा उठा रही है ।

लेकिन फिर भी वोटों के कटने के डर कहीं न कहीं भाजपा नेतृत्व दल के अंदर है तो यही वजह है कि वह किसी भी स्तर तक जाकर अपने सहयोगी दलों को मनाने में जुटी है ।

महाराष्ट्र में शिवसेना के द्वारा प्रधानमंत्री पर लगातार सवाल उठाए जाने और राजनितिक प्रहारों के बाबजूद शिवसेना की इच्छा के मुताबिक गठबंधन किया गया ।

उत्तरप्रदेश में अपना दल , भाजपा आदि को साधने के लिए भी भाजपा हर स्तर तक झुकी है ।

इसी तरह बिहार में नीतीश कुमार के सामने भी भाजपा लाचार सी ही नजर आई ।

हालांकि भाजपा शीर्ष नेतृत्व के अनुसार वे अपने सहयोगी दलों के साथ समझौता करने में कुछ गलत नही मानते ।

लेकिन सवाल तब खड़े होते हैं जब काँग्रेस अपने अन्य साथियों से गठबंधन करती है और भाजपा नेता उन पर कटाक्ष । ऐसे में काँग्रेस भी मौका नहीं चूक रही ।

काँग्रेस का साफ कहना है कि भाजपा का अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ गठबंधन में हद स्तर तक झुकना भाजपा शीर्ष नेतृत्व में काँग्रेस के भय को उजागर करता है ।

राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो गठबंधन होते ही इसलिए हैं ताकि मत विभाजन न हो और दो या तीन पार्टियों को मिलने वाले वोट एक ही उम्मीदवार को मिलने से जीत की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं ।

विशेषज्ञ मानते हैं कि हार का डर बड़ी से बड़ी पार्टी के बड़े से बड़े नेता को होता है जनता कब तख्त पलट दे नहीं पता । ऐसे में गठबंधन के द्वारा कम से कम अपने सहयोगी द्वारा काटे जाने वाले वोट तो नहीं कटते ।

भाजपा हो या काँग्रेस या कोई अन्य पार्टी सब यह जानती हैं कि जितनी अधिक कैंडिडेट होंगे मत उतने लोगों में बंट जाएगा जिसे बचाने के लिए झुकना ही बेहतर है ।

इसका जीता जागता उदाहरण उत्तर प्रदेश में चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी सपा और बसपा के बीच हुआ गठबंधन है ।