भाषा किसे कहते हैं ?
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भाषा की परिभाषा bhasha ki paribhasha –
भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा हम अपने भावों या विचारों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।
अगर दूसरे शब्दों में कहें तो – जिसके द्वारा हम, आप या कोई भी व्यक्ति अपनी बात दूसरों तक पहुंचा सकता है और दूसरों की बात को स्वयं जान सकता है चाहे वो बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
जो बोल नहीं सकते और पढ़े लिखे भी नहीं वे अपने मन के भाव एक-दूसरे को समझाने व समझने के लिए संकेतों का सहारा लेते हैं । संकेतो में अपनी बात समझाने में पुराने लोगों को बहुत कठिनाई होती थी इस को दूर करने के लिए ध्वनियों को मिलाकर शब्द बनाने आरंभ किए गए और शब्दों के मेल से भाषा बनी ।
क्योंकि पहले आदिवासी लोग कबीलों में रहते थे तो हर कबीले की भाषा अलग होती थी । हर क्षेत्र की हर देश की अपनी एक अलग भाषा होती है जिससे वहां के लोग आपस में बात चीत कर सकते हैं। यही वजह है कि दुनियां में अनेक भाषाए है। जैसे- हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी, बँगला, गुजराती, उर्दू, तेलगु, कन्नड़, चीनी, जमर्न आदिै। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी है।
भाषा शब्द संस्कृत के भाष धातु से बना है। जिसका अर्थ है- बोलना। किन्तु उसको कुछ संकेतो से उकेरा भी जा सकता है जिससे अक्षर बनते हैं और फिर हम अपने भाव बोलने के साथ लिख भी सकते हैं।
भाषा के कौन कौन से रूप हैं ?
भाषा के प्रकार BHASHA KE PRAKAR
भाषा के तीन रूप होते है-
(1) मौखिक भाषा
(2) लिखित भाषा
(3) सांकेतिक भाषा। (इसका अध्ययन अधिकतर व्याकरण में नहीं किया जाता।)
मौखिक भाषा:-
बोलकर बताना या सुनकर जान लेना भाषा का मौखिक रूप होता है। इसमें वक्ता बोलकर अपनी बात कहता है व श्रोता सुनकर उसकी बात समझता है। अन्य शब्दों में परिभाषित करें तो भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति बोलकर विचार प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति सुनकर उसे समझ जाता है, मौखिक भाषा कहलाती है। यह भाषा का प्राचीनतम रूप है। मनुष्य ने पहले बोलना सीखा।
उदाहरण: भाषण, वार्तालाप, टीवी, रेडियो, फोन आदि।
लिखित भाषा :-
लिखकर बताना या पढ़कर जानना । जिन अक्षरों या चिन्हों की सहायता से हम अपने मन के विचारो को लिखकर प्रकट करते है या पढ़कर समझ लेते हैं उसे लिखित भाषा कहते है।
अन्य शब्दों में- आप किताब पढ़ते हैं लेखक के विचार समझ जाते हैं या आप पत्र व्यवहार से अपने सगे संबंधियों को अपनी कुशलता की जानकारी लेते देते हैं । यह भाषा का लिखित रूप है। इस प्रकार भाषा का वह रूप जिसमें एक व्यक्ति अपने विचार या भाव लिखकर प्रकट करता है और दूसरा व्यक्ति पढ़कर बात समझता है लिखित भाषा कहलाती है।
उदाहरण: पत्र व्यवहार, पत्रिका या समाचार-पत्र का पठन, कहानी, जीवनी, इत्यादि।
सांकेतिक भाषा :-
जब संकेतों द्वारा बात समझाई और समझी जाती है तब वह सांकेतिक भाषा कहलाती है। इस पद्धति का प्रयोग अधिकतर वे लोग करते हैं जो बोल या सुन नहीं सकते जैसे: मूक (गूँगे) बधिर(बहरे) लोगों के लिए आने वाले टीवी समाचार आपने देखे होंगे। गूँगे के अलावा छोटे बच्चे भी अपनी बात दूसरों को समझाते समय इस्तेमाल करते है, वे सब सांकेतिक भाषा कहलाती है।
जैसे- चौराहे पर खड़ा यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक-बधिर समाचार, दूर देश जाने पर भाषा समझ न आने के बाद इशारे से समझाने की कोशिश आदि।
मुख्य तौर पर भाषा के दो रूप है- कथित और लिखित। हम इसका प्रयोग कथन के द्वारा, अर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा (लिखकर) करते हैं।
राष्ट्र्भाषा :-
किसी भी देश में बोलियों की संख्या अनेक होती है। हर भाषा किसी क्षेत्र-विशेष में बोली जाती है।
किन्तु हर देश में अधिक प्रचलित एक भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में माना जाता है इसका प्रयोग शिक्षा, शासन और साहित्य में होता है। हर देश की अपनी राष्ट्रभाषा है- रूस की रूसी, फ्रांस की फ्रांसीसी, जर्मनी की जर्मन, जापान की जापानी आदि। भारत में हिन्दी भाषा को ‘राष्ट्रभाषा’ (राजभाषा) का गौरव प्राप्त है।
साधारण शब्दों में कहें तो – वह भाषा जो देश के अधिकतर हिस्सों में बोली जाती है या प्रयोग की जाती है राष्ट्रभाषा कहलाती है। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी लगभग 75 फीसद भारतीयों द्वारा प्रयोग में लाई जाती है।
मातृभाषा:
बच्चे के जन्म लेने वाले क्षेत्र में परिवार और उस गाँव आसपास के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा जिसे बच्चा सबसे पहले सीखता है ‘मातृभाषा’ कहलाती है। इसे क्षेत्रीय भाषा भी कहा जा सकता है ।
प्रादेशिक भाषा:
एक प्रदेश में बोली जाने वाली भाषा को प्रादेशिक भाषा कहते हैं भारत के अलग अलग प्रदेशों में विभिन्न भाषाएँ बोली जाती हैं ।
राज्य/प्रदेश | भाषा |
उत्तर | हिंदी |
पंजाब | पंजाबी |
राजस्थान | राजस्थानी |
गुजरात | गुजराती |
तमिलनाडु | तमिल |
केरल | मलियालम |
असम | असमिया |
कश्मीर | कश्मीरी |
अन्तर्राष्ट्रीय भाषा
जब कोई भाषा विश्व के अधिक राष्ट्रों द्वारा बोली और समझी जाती है तो वह अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन जाती है। अंग्रेजी एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा है।
राजभाषा
राजभाषा- वह भाषा जो देश के सरकारी कार्यालयों के काम-काज में प्रयोग की जाती है, राजभाषा कहलाती है।
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