प्रत्यय किसे कहते हैं Pratyay kise kahte hain.
_______________________________________________________________
ये भी पढ़ें:
Complete Hindi Vyakaran व्याकरण :
Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा
Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण ,
pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal
_________________________________________________________________
प्रत्यय की परिभाषा Pratyay ki paribhasha
वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं प्रत्यय कहते हैं अर्थात प्रत्यय वे शब्दांश है जो किसी शब्द के अंत में लगाये जाते हैं और उपसर्ग की भांति नवीन अर्थ प्रकट करते हैं|
प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता है। प्रत्यय अविकारी शब्दांश होते हैं जो शब्दों के बाद में जोड़े जाते है। जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘ । अत: प्रत्यय का अर्थ होता है साथ में पर बाद में चलने वाला । कभी कभी प्रत्यय लगाने से अर्थ में कोई बदलाव नहीं होता है। प्रत्यय लगने पर शब्द में संधि नहीं होती बल्कि अंतिम वर्ण में मिलने वाले प्रत्यय में स्वर की मात्रा लग जाएगी लेकिन व्यंजन होने पर वह यथावत रहता है।
बिक +आऊ = बिकाऊ
होन +हार = होनहार
लेन +दार = लेनदार
घट + इया = घटिया
गाडी +वाला = गाड़ीवाला
” ता “ से बने प्रत्यय
- उदार + ता = उदारता
- सफल + ता = सफलता
“वान “ से बने प्रत्यय
- धन + वान = धनवान
- विद्या + वान = विद्वान
- बल + वान = बलवान
” ई ” से बने प्रत्यय
- पण्डित + आई = पण्डिताई
- चालाक + ई = चालाकी
- ज्ञान + ई – ज्ञानी
” ओं ” से बने प्रत्यय
- भाषा + ओं = भाषाओं
- शब्द + ओं = शब्दों
- वाक्य + ओं = वाक्यों
- कार्य + ओं = कार्यों
” याँ ” से बने प्रत्यय
- नदी + याँ = नदियाँ
- प्रति + याँ = प्रतियाँ
अन्य उदाहरण:
मूल शब्द | प्रत्यय | नवीन शब्द |
इच्छ्, भिक्ष् | उक | इच्छुक, भिक्षुक |
बढ़, घट | इया | बढ़िया, घटिया |
पठ,फल | इत | पठित, फलित |
हँस, बोल | ई | हँसी, बोली |
लड़, सिल | आई | लड़ाई, सिलाई |
सर्व, अस् | त्र | सर्वत्र, अस्त्र |
लेख्, पाठ् | अक | लेखक, पाठक |
प्रत्यय के प्रकार
- संस्कृत के प्रत्यय
- हिंदी के प्रत्यय
- विदेशी भाषा के प्रत्यय
संस्कृत के प्रत्यय
संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों और मूल धातुओं से जोड़े जाते हैं वे संस्कृत के प्रत्यय कहलाते हैं । जैसे :- त – आगत , विगत , कृत । संस्कृत प्रत्यय के प्रकार :-
- कृत प्रत्यय
- तद्धित प्रत्यय
कृत प्रत्यय
वे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अंत में लगकर एक नए शब्द बनाते हैं उन्हें कृत प्रत्यय कहा जाता है ।कृत प्रत्यय से मिलकर जो प्रत्यय बनते है उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते हैं । ये प्रत्यय क्रिया और धातु को नया अर्थ देते हैं । कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण भी बनाए जाते हैं ।
जैसे: लिख +अक = लेखक
(i) लेख, पाठ, कृ, गै , धाव , सहाय , पाल + अक = लेखक , पाठक , कारक , गायक , धावक , सहायक , पालक आदि ।
(ii) पाल् , सह , ने , चर , मोह , झाड़ , पठ , भक्ष + अन = पालन , सहन , नयन , चरण , मोहन , झाडन , पठन , भक्षण आदि ।
(iii) घट , तुल , वंद ,विद + ना = घटना , तुलना , वन्दना , वेदना आदि ।
(iv) मान , रम , दृश्, पूज्, श्रु + अनिय = माननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय आदि ।
(v) सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष् , लिख , भट , झूल +आ = सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा , लिखा ,भटका, झूला आदि ।
(vi) लड़, सिल, पढ़, चढ़ , सुन + आई = लड़ाई, सिलाई, पढ़ाई, चढ़ाई , सुनाई आदि ।
(vii) उड़, मिल, दौड़ , थक, चढ़, पठ +आन = उड़ान, मिलान, दौड़ान , थकान, चढ़ान, पठान आदि ।
(viii) हर, गिर, दशरथ, माला + इ = हरि, गिरि, दाशरथि, माली आदि ।
(ix) छल, जड़, बढ़, घट + इया = छलिया, जड़िया, बढ़िया, घटिया आदि ।
(x) पठ, व्यथा, फल, पुष्प +इत = पठित, व्यथित, फलित, पुष्पित आदि ।
कृत प्रत्यय के भेद:
- कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
- विशेषणवाचक कृत प्रत्यय
- भाववाचक कृत प्रत्यय
- कर्मवाचक कृत प्रत्यय
- करणवाचक कृत प्रत्यय
- क्रियावाचक कृत प्रत्यय
कर्तृवाचक कृत प्रत्यय
जिस शब्द से किसी के कार्य को करने वाले का पता चले उसे कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। जैसे :-
अक = लेखक , नायक , गायक , पाठक अक्कड = भुलक्कड , घुमक्कड़ , पियक्कड़ आक = तैराक , लडाक आलू = झगड़ालू आकू = लड़ाकू , कृपालु , दयालु आड़ी = खिलाडी , अगाड़ी , अनाड़ी इअल = अडियल , मरियल , सडियल एरा = लुटेरा , बसेरा ऐया = गवैया , नचैया ओडा = भगोड़ा वाला = पढनेवाला , लिखनेवाला , रखवाला हार = होनहार , राखनहार , पालनहार ता = दाता , गाता , कर्ता , नेता , भ्राता , पिता , ज्ञाता ।
तद्धित प्रत्यय
जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के अंत में लगने के बाद नए शब्दों की रचना करते हैं , उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं
_______________________________________________________________
ये भी पढ़ें:
Complete Hindi Vyakaran व्याकरण :
Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा
Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण ,
pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal
_________________________________________________________________