विशेषण की परिभाषा एवं उसके प्रकार
__________________________________________
ये भी पढ़ें:
Complete Hindi Vyakaran व्याकरण :
Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा
Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण ,
pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal
__________________________________________
विशेषण (Adjective) की परिभाषा
वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते है विशेषण कहलाते हैं | अर्थात संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं।
और विशेषण जिस शब्द की विशेषता बतलाता है, उसे विशेष्य कहते हैं।
जैसे- लाल गुलाब । इसमें लाल विशेषण है जो गुलाब की विशेषता बता रहा है।
- यह भूरी गाय है, आम खट्टे है। यहाँ ‘भूरी’ शब्द गाय और ‘खट्टे’ शब्द का प्रयोग आम की विशेषता बताने को किया है अतः ये शब्द विशेषण है।
- राम बहुत तेज दौड़ता हैं मैं तेज दौड़ना राम की विशेषता है ।
विशेषण लगने पर वस्तु का दायरा या उसका अर्थ सीमित हो जाता है। जैसे- ‘पुस्तक’ कहने से कोई भी पुस्तक और हिन्दी पुस्तक कहने से सिर्फ हिंदी की पुस्तकों का बोध होता है, सभी तरह की पुस्तकों का नहीं।
विशेषण संज्ञा के आभूषण हैं। सटीक विशेषणों के प्रयोग से संज्ञा उसी प्रकार विभूषित होती है, जिस प्रकार आभूषणों के प्रयोग से कोई रूपसी।
विशेष्य-
विशेषण शब्द जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, वे विशेष्य कहलाते हैं।
अर्थात विशेषण से जिस शब्द की विशेषता प्रकट की जाती है, उसे विशेष्य कहते है।
जैसे- ‘अच्छा विद्यार्थी गुरु की आज्ञा मानता है’ में ‘विद्यार्थी’ विशेष्य है, क्योंकि ‘अच्छा’ विशेषण इसी की विशेषता बताता है।
प्रविशेषण-
जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते है, वे प्रविशेषण कहलाते है।
जैसे- यह लड़की बहुत अच्छी है।
मै पूर्ण स्वस्थ हुँ।
उपर्युक्त वाक्य में ‘बहुत’ ‘पूर्ण’ शब्द ‘अच्छी’ तथा ‘स्वस्थ’ (विशेषण )की विशेषता बता रहे है, इसलिए ये शब्द प्रविशेषण है।
विशेषण के प्रकार
विशेषण निम्नलिखित प्रकार होते है –
1- गुण वाचक विशेषण
2- परिमाण वाचक विशेषण
3- संख्या वाचक विशेषण
4- संकेत वाचक विशेषण
1- गुण वाचक विशेषण–
वे विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के गुण अथवा दोष का बोध करते हैं | गुण वाचक विशेषण कहलाते हैं | जैसे- वह एक लम्बे कद का व्यक्ति है| आकार- उसका चेहरा गोल है। अवस्था- भूखे पेट भजन नहीं होता।
विशेषणों में इनकी संख्या सबसे अधिक है। इनके कुछ मुख्य रूप इस प्रकार हैं।
गुण- भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, शान्त आदि।
दोष बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुष्ट आदि।
रूप/रंग- लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुँधला, फीका।
आकार- गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला आदि।
दशा/अवस्था- दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा आदि।
स्थान- उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पूरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण आदि।
स्थिति/दिशा- निचला, ऊपरी, उत्तरी, पूर्वी आदि।
2- संख्यावाचक विशेषण-
वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं | संख्या वाचक विशेषण कहलाते हैं |
दूसरे शब्दों में- वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, ‘संख्यावाचक विशेषण’ कहलाता है।
जैसे- मेरे पास दो कलम हैं|
‘पाँच’ घोड़े दौड़ते हैं।
सात विद्यार्थी पढ़ते हैं।
संख्यावाचक विशेषण के भेद
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं,
निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
उदाहरण-
डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।
सभा में सौ लोग उपस्थित थे।
इन वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा हैं।
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे- कई, कुछ, सब, थोड़, सैकड़ों, अरबों आदि।
उदाहरण-
कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।
आज बहुत खाना खाया।
इन वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध नहीं हो रहा है
(3) परिमाणवाचक विशेषण :-
वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की नाप तोल का बोध करते हैं | परिमाण वाचक विशेषण कहलाते हैं | जैसे- दस लीटर दूध लाओ |
दूसरे शब्दों में- वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है।
यह किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध कराता है।
जैसे- शादी में ‘पांच तोला’ सोना दिया, ‘थोड़ा’ पानी पिलवा दो ।
परिमाणवाचक विशेषण के भेद
संख्या वाचक विशेषण की तरह ही परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i) निश्चित परिमाणवाचक
(ii)अनिश्चित परिमाणवाचक
(4)संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण :-
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।
अर्थात वे सर्वनाम जो संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हुए विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, ‘संकेतवाचक विशेषण’ कहलाते हैं।
जैसे- 1. यह मेरी कलम हैं | 2. वह गाय दूध देती है।3. यह पुस्तक मेरी है।
विशेषण क्या होता है , विशेषण के भेद, विशेषण की परिभाषा
__________________________________________
ये भी पढ़ें:
Complete Hindi Vyakaran व्याकरण :
Bhasha भाषा, Varn वर्ण and Varnmala वर्णमाला, Shabd शब्द, Vakya वाक्य , Sangya संज्ञा
Sarvnam सर्वनाम, Ling लिंग, Vachan वचन , alankar अलंकार, visheshan विशेषण ,
pratyay प्रत्यय , Kriya क्रिया , Sandhi संधि, karak कारक, kal काल kaal
__________________________________________